Q 5 और आखिर में आपके अनुसार वास्तविक पाप और पुण्य के मायने क्या है?
3.
उपनिषदों की दृष्टि में वास्तविक पाप एक ही है-शान, क्योंकि वही एकमात्र बाधा है।
4.
कोई आइडिया? Q 5 और आखिर में आपके अनुसार वास्तविक पाप और पुण्य के मायने क्या है?
5.
लाभ की भावना का निषेध करते हुए ओवेन ने लिखा है कि-‘ दुनिया में एक जरूरी बुराई, वास्तविक पाप लाभ की कामना है.
6.
ईसाई धर्मशास्त्र के अनुसार, स्वर्ग के पतन का कारण केवल मनुष्यों के द्वारा हुआ है, क्योंकि मनुष्यों ने परमेश्वर का पालन नहीं किया (“ लेकिन अच्छे और बुरे ज्ञान वृक्ष को खाना नहीं चाहिए ”), परिणामस्वरूप तब से सभी मानव जाति का जन्म चरित्रों की दुष्टता के साथ होने लगा (वास्तविक पाप).